शनिवार, 27 अगस्त 2011

अभी तो तो दस घंटे बाकी हैं ''ब्लॉग पहेली -2 का परिणाम आने


बहुत आसान है ....केवल उसके लिए जो जानता है .करते हैं दावा आप कि आप ब्लॉग जगत के जानकार हैं तो दीजिये न इन प्रश्नों के सही जवाब .अभी तो तो दस  घंटे बाकी हैं ''ब्लॉग पहेली -2 '' का परिणाम आने में .''ब्लॉग पहेली '' देख सकते हैं यहाँ -http://blogpaheli.blogspot.com
शिखा कौशिक

शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

कुछ मुद्दे....जो हमारे लिए वांछित होने चाहिए....!!


मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
कुछ मुद्दे....जो हमारे लिए वांछित होने चाहिए....!!

मिस्टर राहूल,तुम्हारे कहने अनुसार अगर लोकपाल भी भ्रष्ट होगा तो तुम प्लीज़ चिंता मत करो,उसे जनता बदल देगी,ठीक उसी तरह जिस तरह आने वाले चुनावों में वह तुम समस्त लोगों को बदल देने वाली है....!!
ओ संसद के तमाम सांसदों,तुम सब जिस तरह जन-लोकपाल के प्रश्न पर जिस तरह का दोहरा आचरण कर रहे हो,उसका प्रत्युत्तर जनता तुम्हें जल्द ही देने वाली है,तुम जैसे तमाम सांसदों का अबकी बार संसद से सफाया होकर ही रहेगा,तुम्हारा धनबल,बाहुबल या कोई भी छल-कपट तुम्हें नहीं बचा पायेगा...!!
एक अपील हम जनता से....आने वाले चुनावों में वह साफ़-स्वच्छ छवि वाले वाले उम्मीदवार को हो अपना मत दे,ऐसे किसी को उम्मीदवार को वह धन आदि की कमी के चलते हारने ना दे,उसे भरोसा दे,और इतना ही नहीं उसके जीतते ही उसके घर जाकर उसे बधाई देने के पश्चात उस पर जनता के लिए कार्य करने का नैतिक दबाव बनाए...!! 
अब जनता आने वाले दिनों में अपने-अपने क्षेत्र के सांसदों से उसके किये-धरे का चिठ्ठा मांगे,और जिसने जो कुछ भी अवैध अर्जित किया हो,उसकी बाबत सवाल पूछे,उसका समुचित उत्तर ना मिल पाने पर उस सांसद का क्या करना है उसके बारे में मिल बैठ कर सोचे...!! 
यह भी बड़ी अजीब बात है की आप चोरी करो,डाका डालो,लड़कियों के साथ बिस्तर गर्म करो,देश की सुरक्षा तक के साथ खिलवाड़ करो,देश का धन बाहर ले जाओ...अपना ही घर बस भरते जाओ,भरते जाओ,भरते जाओ और हम कुछ कहें या पूछे तो कहो यह अशोभनीय है,यह भाषा अनुचित है,असंसद्नीय है ,तो अब तुम्ही बताओ हमें ,क्या उचित है,क्या अनुचित !!
दोस्तों, भारतमाता किसी अन्ना के बहाने से आप-हम-सबे दिलों पर यह दस्तक दे रही है,के हम भी अब सुधर जाएँ,बदल जाए और एक हद तक सच्च्चरित्र हो जाएँ(क्यूंकि हम भी तो पूरा नहीं बदल सकते...!!??)सिर्फ दूसरों को गरियाने से कुछ नहीं बदलेगा,हरेक चीज़ के इकाई हम खुद हैं,हमें खुद को जिम्मेदार-सभ्य और निष्कलंक नागरिक बनना होगा...!!
अगर सच में ही हम खुद को भारतीय कहतें हैं,तो भारतीयता के निम्नतम कसौटी के ऊपर खुद को कसना होगा,एक नागरिक के रूप में हमारे भी क्या कर्तव्य हैं,उन्हें पूरा करना ही होगा,वरना एक जन-लोकपाल तो क्या एक लाख लोकपाल या जन-लोकपाल भी रत्ती-भर मात्र भी कुछ नहीं उखाड़ पायेंगे,आन्दोलन का रोमाच एक बात है...और खुद को बदलना बिलकुल दूसरी बात..!!
हमारे ह्रदय में हमारी आत्मा में क्या पक रहा है,इसी पर देश का भविष्य सुनिश्चित है,हम खुद को कुछ बनाना चाहते हैं,या देश को सचमुच कहीं ले जाना चाहते हैं,यह बिलकुल स्पष्ट तय नहीं है तो इस आन्दोलन-वान्दोलनों का कोई अर्थ नहीं है ,सिर्फ हमारी खुद के गुणवत्ता ही देश को वाजिब उंचाई प्रदान कर सकती है..!! 
अब सिर्फ यही आत्म-मंथन करना है,के हम क्या थे,क्या हैं,और क्या होंगे अब....!!सिर्फ एक नेक विचार देश को नयी उंचाईयां प्रदान कर सकता है,क्या कुछेक विचारों पर सोचने को,उन्हें अपने दिल में जगह देने को,उन पर चलने को हम तैयार हैं....??
अन्ना एक निमित्त बन चुके...अब आगे का काम तो हम अरबों लोगों का ही है,सत्ता के लोगों का अहंकार संभवतः अन्ना को "भूतकाल"में परिणत कर दे, क्योंकि डोलते हुए भयभीत सांसदों से अब शायद कोई उम्मीद ही नहीं के सकती,तो अगर अना ना रहें तो हमें क्या करना है....!!????
प्रश्न तो ढेर-ढेर सारे हैं....आर उत्तर खुद हमारे ही भीतर....उत्तर ढूँढ लें,समस्याएं स्वतः ही हल हो जायेंगी,यह समय आन्दोलन से अधिक अपने भीतर झाँकने का है,खुद को सही दिशा प्रदान करने का है....!!
हर तरफ-हर जगह यह लिखा हुआ पाया जा रहा है,मैं अन्ना हूँ,मैं अन्ना हूँ,मैं अन्ना हूँ....ज़रा सोचिये...एक अन्ना ने एक आंधी पैदा कर दी है...हम सब यदि अन्ना हो गए,तो फिर देश को उंचाईयों पर पहुँचते देर ही कहाँ लगेगी...!!

बुधवार, 24 अगस्त 2011

कोरे सपने.......



बिना तुम्हारे बंजर होगा आसमान 
उजड़ी सी होगी सारी जमीन 
फिर उसी धधकते हुए सूर्य के प्रखर तले 
सब ओर चिलचिलाती काली चट्टानों पर 
ठोकर खाता, टकराता भटकेगा समीर 
भौंहों पर धुल-पसीना ले तन-मन हारा 
बेचैन रहूंगा फिरता मैं मारा-मारा
देखता रहूँगा क्षितिजों की 
सब तरफ गोल कोरी लकीर 
फिर भी सूनेपन की आईने में  चमकेगा लगातार 
मेरी आँखों में रमे हुए मीठे आकारों का निखर 
मैं संभल न पाऊंगा डालूँगा दृष्टि जिधर 
अपना आँचल फैलायेगी वह सहज उधर.......
नीलकमल वैष्णव"अनिश"
०९६३०३०३०१०
०९६३०३०३०१७

अब अगर अन्ना को कुछ हुआ तो.......!!

अब अगर अन्ना को कुछ हुआ तो.......!!
             दोस्तों कल रात टीम-अन्ना के साथ हुई बातचीत को सत्ता के अहंकार ने विफल कर कर दिया है,क्योंकि सभी दलों के सांसदों के साथ हुई बातचीत में हमारे देश के,हमारी सेवा करने के लिए हमारे द्वारा चुने गए हमारे जन-प्रतिनिधियों ने बेमिसाल और अपूर्व एका दिखाया....उससे हमारे द्वारा नियुक्त किये गए इन जन-प्रतिनिधियों 
की स्वार्थ-मंशा बिलकुल साफ़-साफ़ उजागर होती है,और यह भी स्पष्ट होता है कि संसद और विधानसभाओं में भेजे गए हमारे जन-प्रतिनिधियों ने राजनीति को स्पष्ट तौर पर अपना पेशा बना लिया है और इस पेशे से पर्याप्त लाभ बटोरने के लिए अब वे किसी भी हद तक जा सकते अथवा उसे पार कर सकते हैं....और यही कारण है कि लगभग समस्त सांसदों के सूर इस भयानक मुद्दे पर जनता की राय के बिलकुल विपरीत हैं....उस जनता के हिमायतियों को ये नपुंसक-स्वार्थी और कायर लोग नकार और धिक्कार रहें हैं....जिनके बूते ये (हरामखोर!!)लोग आज सत्ता पर आसीन है....और मजा यह कि हमहीं पर शासन भी कर रहें हैं...मगर केवल यहीं तक होता तो जनता बर्दाश्त भी करती....मगर जिन्होंने बरसों-बरस से देश और राज्यों में शासन के स्थान पर सिर्फ-व्-सिर्फ लूट और खसोट ही की है....और तो और अब तो पिछले कुछेक बरसों से तो ये साहिबान तो मवालीगिरी भी करते चले आ रहे हैं...उस सत्ता का ऐसा दंभ...!!कि वह एक संत-एक निस्वार्थी सामाजिक कार्यकर्ता की बिना अन्न-जल ग्रहण किये हुए आन्दोलन की आवाज़ ही अनसुनी कर दे....??अगर ऐसा है तो अब हमें भी ऐसी सत्ता और इस जैसी समस्त सत्ताओं को उसकी औकात बता ही देनी चाहिए...!!और साथ ही अपनी....यानी अरबों की अपनी इस जनसंख्या की ताकत का अहसास भी.....!!
                  दोस्तों....अब तक तो हम इस देश का अन्न खाते आयें हैं...इसका दिया हुआ वस्त्र हमने पहना है....इसीकी मिटटी पर हमनें मल-मूत्र भी त्यागा है....मगर इसकी सरजमीं ने हमें आसरा दिया है....और इसके गौरव से हम खुद गौरवान्वित महसूस करते चले आयें हैं...तो फिर आज वक्त का यह तकाजा हो गया है....कि अब अपने छोटे-छोटे स्वार्थों को ज़रा-सी देर के लिए भूल-भाल कर इस देश के कूड़े-कचरे को साफ़ करने के लिए किये जा रहे इस आन्दोलन का साथ देने के लिए हम भी उठ खड़े हों....!!यह इस करून वक्त की पुकार है....कि एक व्यक्ति हमारे लिए खुद को मिटाने की कगार पर पहुँच चुका हो....और हम सब सिर्फ अपने स्वार्थ की नालियों में कीड़ों की तरह निमग्न रहें...अगर ऐसा हुआ तो इतिहास भले हमें माफ़ कर दे...मगर हमारे खुद के बच्चे तक भी हमें माफ़ नहीं करेंगे...!!
                अन्ना का आन्दोलन इस देश के इतिहास का वह मोड़ है...जहां से जनता ही इसे वह राह-वह दिशा प्रदान कर सकती है...जहां जाने और जिस जगह को पाने के लिए इस देश के विवेकवान लोगों की अंतरात्मा कराहती रही है....भारतमाता का ह्रदय छटपटाता रहा है...!!अरबों भूखे-नंगों लोगों के इस देश को और भी कंगाल बनाने पर उतारू रहें हैं सदा से मुट्ठी भर लोग....इन मूठी भर लोगों का क्या हश्र किया जाना चाहिए....अब यह हम सबको बैठकर तय करना ही होगा...और यह भी अभी की अभी ही....!!अब अन्ना हजारे सिर्फ एक व्यक्ति नहीं....एक नारा हैं....एक सैलाब है....एक आंधी हैं....एक तूफ़ान हैं....और अगर इस बहाव में हम सब नहीं उठ खड़े होंगे तो सच बताऊँ....??हमपर धिक्कार होगा...और वतन पर एक बहुत बड़ी प्रताड़ना...!!
                इसी वक्त इस आन्दोलन को एक भीषण जन-आन्दोलन में तब्दील कर डालना होगा...व्यवस्था परिवर्तन-सत्ता-परिवर्तन....और अपने खुद के आचरण में भी आमूल-चूल परिवर्तन के लिए अब हमें अपने मन में ठान लेनी चाहिए....!!एक बार इस सत्ता के अहंकार को उसकी औकात बताने के लिए एक दिन के लिए समूचा देश बंद कर अरबों लोगों को एक साथ सड़क पर आ जाना चाहिए....हरेक सांसद-विधायक-ठेकेदार-अफसर और हमारी दृष्टि भी जो भी भ्रस्थ कर्मी है....उसका घेराव कर सत्ता को सुस्पष्ट सदेश देना ही होगा कि सिंहासन खाली करो कि जनता आती है....कि सिंहासन खाली करो जनता आ रही है....और अब भी तुम नहीं हते या बदले तो यही जनता तुम्हारे सीने पर मूंग डालेगी.....जिसकी छाती पर तुम इतने बरसों मूंग डालते आये थे....!!
                   जाते-जाते एक नसीहत सत्ता और उसके सहयोग से नाच रहे समस्त लोगों को कि बेशक अब उनकी नज़र में अन्ना का अनशन उनकी अपनी निजी समस्या है...मगर अन्ना को अब कुछ भी हुआ तो......तो....तो....!!!!

मंगलवार, 23 अगस्त 2011

विजेता बनने का मौका मत चूकिए






ब्लॉग पहेली -२ आ चुकी है आपके सामने .विजेता बनने का मौका मत चूकिए  .जल्दी से दीजिये सही जवाब .कहीं कोई और आगे न निकल जाएँ !
                   shikha kaushik 
                                                    
[चित्र फोटो सर्च से साभार ]

क्या आप तैयार है ब्लॉग पहेली -२ के लिए




क्या आप तैयार है ब्लॉग पहेली -२ के लिए ? कल को आने वाली है.सबसे पहले-सर्व शुद्ध हल देकर बन पाएंगे विजेता .एक संकेत दे रही हूँ -ब्लॉग पहेली-२ का विजेता बनेगा वही जो पढता है सभी ब्लोगर्स के बारे में ध्यान से .आप भी पढ़कर हो जाएँ तैयार.BEST OF LUCK
                                                     शिखा कौशिक 

रविवार, 21 अगस्त 2011

अहसास.....!


कविता ....

अहसास.....!

जब बहुत उदास होता हूँ मैं
तो सिर्फ कापी और पेन हाथ में आते हैं
पता नहीं क्यूँ कर हम
जिसे भुलाना चाहते है 
वह उतना याद आते हैं
लेकिन यह बात आखिर जाकर 
उन्हें बताएगा कौन
क्योंकि यह सारी दुनियां
तो आखिर हो गयी है मौन
परन्तु यह एक सास्वत सत्य है
की यह बात आखिर वह
भी किसी दिन जान जाएगी
काश ! वह एक बार मुझको आजमाती
मैं तो सिर्फ और सिर्फ उसी को
देखता रहता हूँ सिर्फ ख्वाबों में
लेकिन क्या ?  यह ख्वाब सच होगा
हाँ शायद हो जाये क्योंकि
यह प्यार है ही ऐसा कोमल  अहसास 

नीलकमल वैष्णव "अनिश"