मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

ब्लॉग पहेली चलो हल करते हैं !-6



ब्लॉग पहेली -6
इस बार  ब्लॉग पहेली कुछ इसप्रकार है .इस  गद्यांश  में  छिपे हैं दस ब्लोग्स  के नाम .सर्वप्रथम ढूंढ कर  लिख दीजिये और बन जाइए विजेता.... ..........
ब्लॉग पहेली  चलो हल करते हैं !

तो फिर कह दो कि ईश्वर नहीं है....नहीं है.....नहीं है....!!


मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
   बहुत दिनों से दुनिया के तरह-तरह के धर्मग्रंथों-दर्शनशास्त्रों,धर्मों की उत्पत्ति-उनका विकास और भांति-भांति के लोगों द्वारा उनकी भांति-भांति प्रकार की की गयी व्याख्यायों को पढने-समझने-अनुभव करने की चेष्टा किये जा रहा हूँ,आत्मा-ईश्वर-ब्रह्माण्ड,इनका होना-ना होना,अनुमान-तथ्य-रहस्य-तर्क, तरह-तरह के वाद-संवाद और अन्य तरह-तरह विश्लेषण-आक्षेप तथा व्यक्ति-विशेष या समूह द्वारा अपने मत या धर्म को फैलाने हेतु और तत्कालीन शासकों-प्रशासकों द्वारा उसे दबाने-कुचलने हेतु किये गए झगडे-युद्द यह सब पता नहीं क्यों समझने-समझाने से ज्यादा मर्माहत करते हैं,मगर किसी भी प्रकार एक विवेकशील व्यक्ति को ये तर्क मनुष्य के जीवन में उसके द्वारा रचे गए अपने उस धर्म-विशेष को मानने की ही जिद का औचित्य सिद्द करते नहीं प्रतीत होते !! 
          धर्म की महत्ता अगरचे मान भी लें तो किसी एक वाद या धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु किये गए,किये जा रहे युद्दों का भी औचित्य समझ से परे लगता है,अगर यही है धर्म, तो धर्म हो ही क्यों ??     
           धरती पर तरह-तरह के मनुष्यों द्वारा तरह-तरह का जीवन बिठाये जाने के आधार पर पूर्वजन्मों के औचित्य....किसी नालायक का ऐश-विलास-भोग आदि देखकर या किसी लायक का कातर-लोमहर्षक जीवन देखकर कर्म-फल-श्रृंखला और कर्मफलों का औचित्य.....सिद्द किया जाता है !! यानी कि जो कुछ हमें तर्कातीत प्रतीत होता है,उसे हम रहस्यवादी बातों द्वारा उचित करार दे दिया करते हैं और मुझे यह भी अजीब लगता है कि कोई वहशी-हरामखोर-लालची-फरेबी-मक्कार-दुष्ट व्यक्ति,जो करोड़ों-अरबों में खेलता हुआ दिखाई देता है,या जो तमाम आस्था-श्रद्धा और विवेकवान होने के बावजूद फाकामस्ती-तंगहाली में एकदम फटेहाल जीवन जीने को अभिशप्त है,तिस पर भी अन्य तरह-तरह की आपदाएं....इन सबमें साम्य क्या क्या है ...??कर्म-फल...!!??
           इस तरह के प्रश्न विवेकवानों द्वारा पूछे जाते हैं कि समाज में इतनी घोर अनैतिकता क्यों है ??क्यों कोई इतना गरीब है कि खाने के अभाव में, छत के अभाव में,दवाई के अभाव में,या कपड़ों के अभाव में ठण्ड से या लू से या बाढ़ से मर जाता है ??तरह-तरह की आपदाओं और बीमारियों से जूझने,उस दरमियान संचित धन के ख़त्म हो जाने और उसके बावजूद पीड़ित के मर जाने और उसके बीवी-बाल-बच्चों के एकदम से सड़क पर आ जाने की घटनाएं भी रोज देखने को मिलती हैं !!....फिर भी ईश्वर है ! और यह सब होना हमारे की कर्मों का फल !!
         मगर दरअसल इस प्रश्न को ठीक पलट कर पुछा जाना चाहिए (ईश्वर है-नहीं है के तर्कों को परे धर दीजिये) कि कोई बेहद धनवान है और हम यह भी जानते हैं कि यह धन उसने येन-केन-प्रकारेण या किस प्रकार पैदा या संचित किया है,या हडपा है या सीधे-सीधे ना जाने कितनों के पेट पर लात मारकर कमाया है !!(या हरामखोरी की है!!)और वो इतना क्रूर है कि उस-सबके बावजूद...अपने समाज में व्याप्त इस असमानता के बावजूद (जिसका एक जिम्मेवार वो खुद भी है !!) वो अपने संचित धन के वहशी खेल में निमग्न रहता है...अगर ईश्वर है, तो उसके भीतर भी क्यों नहीं है और अगर उसके भीतर नहीं है तो फिर हम यह क्यों ना मान लें कि ईश्वर नहीं ही है !!??
           अगर ईश्वर है तो सबमें होगा,होना चाहिए !! अगर ईश्वर है तो मानवता इतनी-ऐसी पीड़ित नहीं होनी चाहिए !! अगर ईश्वर है तो कर्मफल का बंटवारा भी वाजिब होना चाहिए !!.....मगर जो फल हम आज भोग रहें हैं,वो तो हमारे किसी अन्य जन्मों का सु-फल या कु-फल हैं ना....!! तो बस इसी एक बात से तो ईश्वर होने की बात,उसके होने की उपादेयता भी साबित हो जाती है !!
           इस तरह की बातों पर माथा-फोड़ी करने के बजाय अगर हम इस बात पर विचार कर पायें,तो क्या यह बेहतर नहीं होगा कि हम अगर खुशहाल हैं और हमारे पास इतना अधिक धन है कि ना जाने हमारी कितनी पीढियां उसे खाएं....फिर भी हमारे ही आस-पास कोई भूख से-ठण्ड से-दवाईयों के अभाव में या छत के अभाव में मर जाए,तो ऐसा क्यों है,अगर हमारे खुद के भीतर ईश्वर नहीं है तो फिर क्यूँ ना हम यह कह दें कि ईश्वर नहीं है,क्योंकि अगर वो है,तो या तो हमारे होने पर थू-थू है और हम गलीच हैं या हममे मौजूद ऐसे लोगों की क्रूरता धन्य है,जो दिन-रात पत्र-पत्रिकाओं और अन्य मीडिया द्वारा चिल्लाए जाते रहने के बावजूद किसी बात पर नहीं पसीजते और पसीजेंगे भी क्यों, क्योंकि वो तो जिस पत्थर के बने हुए हैं उसी के कारण तो शोषण-अत्याचार की सहायता से तरह-तरह ठगई द्वारा यह सब करते हैं,धन कमाने के लिया ह्त्या तक भी करते-करवाते हैं !! अगर फिर भी ईश्वर है तो होगा किसी की बला से !!
           आदमी में व्याप्त तरह-तरह की सदभावनाओं दया-भावों के बावजूद अगर कुछ लोग इन सब बातों से अछूते रहकर सिर्फ-व्-सिर्फ धन कमाने को ही अपना लक्ष्य बनाए धन खाते-पीते-पहनते-ओढ़ते आखिरकार मर जाते हैं और उनको जलाकर दफनाकर कब्रिस्तान-श्मशान में ऊची-ऊंची आध्यात्मिक बातें करने के बावजूद हम घर लौटकर वही सब करने में मशरूफ हो जाते हैं तो फिर भला ईश्वर कैसे है ??
            हमारे होने के बावजूद यदि सब कुछ ऐसा है और ऐसा ही चलता रहने को है तो फिर सच कहता हूँ कि हम सब धरती-वासियों को एक साथ खड़े होकर जोर की चीत्कार लगानी चाहिए कि तो फिर कह दो कि ईश्वर नहीं है....नहीं है.....नहीं है....!!
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http://baatpuraanihai.blogspot.com/

रविवार, 18 दिसंबर 2011

[ब्लॉग पहेली चलो हल करते हैं !] blog paheli-5 result



ब्लॉग पहेली -५ का परिणाम व् विजेता सुश्री आशा जी

ब्लॉग पहेली -५ का एक  मात्र जवाब सुश्री आशा जी ने प्रेषित किया और एकदम सही .सही जवाब इसप्रकार हैं



(१)-अक्षिता ,पाखी की दुनिया

 (२)-ब्लॉग की खबरें

(३)अमर नाथ मधुर आशा




ब्लॉग पहेली -५ की विजेता
सुश्री आशा जी को
हार्दिक शुभकामनायें !

                    शिखा कौशिक
[ब्लॉग पहेली चलो हल  करते  हैं !]

अंदाज ए मेरा: मुर्गा लडाई का रोमांच

अंदाज ए मेरा: मुर्गा लडाई का रोमांच: स्‍पेन, पुर्तगाल और अमेरिका का बुल फायटिंग (सांड युध्‍द) का नजारा मैंने टीवी पर देखा है..... रोमांच का आलम वहां होता है इस खेल के दौरान पर ...

पाकिस्तानी हिन्दुओं की हिन्दुस्थान में दुर्दशा -हिन्दू होने का अपराध



अमेरिका और पोप शासित इण्डिया में  जहाँ ११० करोड़ हिन्दू जनसँख्या है,हिन्दुओं का दमन और उन पर अत्याचार कभी सुर्खियाँ नहीं बन सकता, मगर बात अभी पाकिस्तान से आये १५० हिन्दुओं की है जो हिन्दुस्थान में दर दर भटक रहें हैंपिछले माह पाकिस्तान से १५० हिन्दू तीर्थयात्रा पर आये थे मगर अब ये हिन्दू हिन्दुस्थान से वापस जाने के लिए तैयार नहीं हैऔर यहाँ स्थायी रूप से शरण मांग रहें हैंइसके पीछे पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दुओं पर होने वाला बर्बर अत्याचार हैआये हुए हिन्दुओं के अनुसार पाकिस्तान में उन्हें कभी जजिया कर तो कभी मुश्लिम बनने का दबाव,हत्या ,लूट और फिरौती का दंश झेलना पड़ता था हिन्दू लड़कियों के बलात्कार और बलात मुश्लिम बनाने की घटनाएँ अब आम हो गयी हैये बात पाकिस्तान की सरकार, संसद और मानवाधिकार संघठन भी स्वीकार करने हैंइसके पक्ष का आकड़ा एक ये भी है की विभाजन के समय पाकिस्तान में २५% हिन्दू थे जो अब १.५% के आस पास रह गए हैंखैर ये बात तो पाकिस्तान में होने वाले अत्याचार की हुई जहाँ पाकिस्तानी का मतलब मुसलमान और हिन्दू विरोधी  होना ही होता है,और ये उनके देश का आन्तरिक मामला है उसपर हम एक सीमा से ज्यादा हस्तक्षेप नहीं कर सकते
हिन्दुस्थान (जिसे खान्ग्रेस सरकार ने पोप पोषित इंडिया बना रखा है) में आये हुए पाकिस्तानी हिन्दुओं के साथ होने वाला व्यवहार भी उन्हें अपने यहाँ चलने वाले तालिबानी शासन की ही याद दिलाता हैये १५० हिन्दू जिनमें बच्चे बुजुर्ग महिलाये भी शामिल है इन्होने दिल्ली में शरण ली हैकुछ छोटे स्वयंसेवी संघठनो और इक्का दुक्का समाज सेवको के अलावा कोई भी उनकी सुध लेने वाला नहीं हैखान्ग्रेस अपनी हिंदुविरोधी नीतियों और तुष्टिकरण के कारण इन हिन्दुओं को वापस पाकिस्तान भेजने के लिए अपना पूरा जोर लगा रही हैइन हिन्दुओं की हिन्दुस्थान में शरण पाने की याचिका भी सरकार ने जानबूझकर विचाराधीन रखा हैइसी बिच एक हिन्दू संघटन ने इन्हें उत्तर प्रदेश में शरण दिलाने की कवायद  की तो यू पी पुलिस ने उन्हें रात मे ही मार पिट कर दिल्ली भगा दियाखैर कांग्रेस से हिन्दू विरोध की ही उम्मीद की जा सकती है क्यूकी इस पार्टी का इतिहास ही है तुष्टिकरण का हैसबसे कष्टप्रद बात ये है की इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संघठन को लकवा मार गया है और भरतीय जनता पार्टी जैसी राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का झंडा उठाने वाली पार्टी ने इस मुद्दे पर कोई पहल करने की जरुरत नहीं समझीहिन्दू  हृदय सम्राट की पदवी पाए हुए माननीय नरेन्द्र मोदी जी भी चुप हैइसका कारण क्या है??
आगामी चुनावों को देखते हुए मुश्लिम वोट बैंक की खातिर राजनितिक पार्टियाँ इन हिन्दुओं को जबरिया पाकिस्तान भेजने से भी गुरेज न करेहाँ अगर ये लोग मुश्लिम होते तो खान्ग्रेस से लेकर भाजपा सब पार्टियों में ईनको हिन्दुस्थान में शरण दिलाने की होड़ लग जातीशायद भारत सरकार को शरणार्थी नीति पर भी एक स्पष्ट रुख अख्तियार करना चाहिएकितना शर्मनाक है की हिन्दुस्थान में ६ करोड़ जेहादी बांग्लादेशियों को बसाने में खान्ग्रेस सरकार को सोचने में जरा भी समय नहीं लगता और सिर्फ १५० हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहा हैअसम का उदाहरण ले तो रातो रात ट्रक में बैठकर बंगलादेशी आते है और अगले दिन तक जंगल के जंगल गांव में तब्दील। न कोई शरण देने का झंझट न कोई निरीक्षण..इसका कारण है की वो मुश्लिम है..वो एक वोट बैंक है
इस परिस्थिति में हिन्दुओं को भी आत्म मंथन करने की जरुरत क्या हिन्दुस्थान का हिन्दू इतना निरीह हो गया है की ११० करोण हिन्दू मिलकर १५० भाई बहनों को शरण न दे सके? शायद हम हिन्दुओं की आंतरिक फूट ,तथाकथित सेकुलर होने की होड़ और खान्ग्रेसियों के तलवे चाटने वालों की हिमायत करने की प्रवृत्ति इस का कारण हैकल्पना करे अफजल गुरु के लिए होने वाले विरोध प्रदर्शनों का,देशद्रोही होने के बाद भी एक बड़ा तबका उसे आदर्श मानता हैवैश्विक स्तर पर मुश्लिम लादेन के प्रबल समर्थक भी है मगर अब दूसरी और हिन्दुस्थान में हिन्दू ही कर्नल पुरोहित और प्रज्ञा ठाकुर को आतंकी बता कर अपनी बौधिक चेतना के दिवालियेपन और हिन्दुओं की नपुंसकता का परिचय देते रहते है
अगर अब भी हिन्दुओं ने नपुंसकता नहीं छोड़ी तो आज १५० पाकिस्तानी हिन्दू दर दर  भटक रहें है कल ११० करोड़ हिन्दुस्थान के हिन्दू आतंकी घोषित कर दिए जायेंगे और बाबर और मीर जाफर की औलादे इस देश पर शासन करेंगीऔर हम अपनी संस्कृति और धर्म के मुगालते में रहते हुए "गर्व से कहो हम हिन्दू है" की छद्म गाथा गाते रहेंगे
आप सभी से अनुरोध है आप जहा कहीं भी हो संवैधानिक मर्यादा में रहते हुए एक पत्र माननीय प्रधानमंत्री जी,राष्ट्रपति जी,अपने जनप्रतिनिधिया जिलाधिकारी किसी को भी किसी माध्यम से,इन हिन्दुओं की सहायता के लिए, लिखें और उन हिन्दुओं की सहायता के लिए प्रयास करते हुए समाज और हिंदुत्व के लिए अपना कर्तव्य पूरा करने की कड़ी में एक छोटा सा प्रयास करें